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Showing posts from May, 2020

52_Cruelities_On_GodKabir

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 आज से 600 साल पहले कबीर परमेशवर कमल के फूल पर अवतरित हुए थे उसके बाद लीला करते हुए 5 वर्ष की आयु में बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों  और मोलवियों के छक्के छुड़ा लगे उनके साथ ज्ञान चर्चा करने लगे और सभी को निरुत्तर कर रहे थे उस समय दिल्ली के शासक सिकंदर लोदी का धर्मगुरु शेखतकी था शेखतकी एशिया ईर्ष्यालु  स्वभाव का था बादशाह सिकंदर के जलन का रोग परमेश्वर कबीर जी के आशीर्वाद से ठीक हो गया तो उसके बाद सिकंदर ने कबीर जी को अपना धर्म गुरु बना लिया जिस कारण से शेखतकी सिकन्दर और कबीर जी दोनों से ही जलने लगा उसने अन्य मुस्लिम जनता से कह दिया कि हमारा बादशाह तो एक काफिर को अपना गुरु बना चुका है जिस कारण सिकंदर भी कुछ भयभीत सा रहने लगा तब उसने शशेखतकी के कहने पर समय-समय पर कबीर साहिब जी की परीक्षा लेता रहा जैसे कभी तेल के कढ़ाई पर तलना, कभी हाथी के सामने डाल देना ,कभी तालाब में डुबोने का प्रयास करना कभी कुएं में डालना कभी रात्रि में तलवार से वार करवाना कभी बंदूक के सामने लाना कभी मदमस्त हाथी के सामने छोड़ना ऐसी अनेक 52 कसौटियों ली फिर  भी  कबीर साहब जी के साथ कुछ थी लेख लेकिन शेख तक...

MagharLeela_Of_GodKabir

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To break the illusion of Hindu religious preachers that the one who dies in Magahar becomes a donkey in next life and the one who dies in Kashi goes to heaven, Kabir God, went to Satlok along with his body and in place of his body, fragrant flowers were found on the sheet tahaan vahaan chaadari phool bichhaaye, sijya chhaandee padahi samaaye. do chaadar dahoon deen uthaavain, taake madhy kabeer na paavain

GodKabir_Comes_In_4_Yugas

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GodKabir_Comes_In_4_Yugas God Kabir comes in all the four yugas. lord Kabir appeared on lotus flower in the lahartara pond of Kashi in Kalyug and was known by his actual name. a childless couple Neeru and nima nurtured him in Kalyug

AlKhidr_Is_AllahKabir

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 इस मृत्युलोक में भक्ति भाव बनाए रखने के लिए और धर्म की की स्थापना हेतु परमेश्वर कबीर साहिब भिन्न-भिन्न रूपों में इस पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं वह सिर्फ अपनी प्यारी आत्माओं को देखते हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई का कोई भेदभाव नहीं करते जहां भी उनकी प्यारी आत्मा कष्ट पा रही हो या परमात्मा से दूर हो रही हो तो उस आत्मा को परमात्मा से जोड़ने के लिए समय-समय पर अवतरित होकर के उसको दुष्कर्म से बचाते हैं अपने इसी दायित्व को निभाने के लिए परमेश्वर कबीर यह है जी नहीं अंकित र के रूप में अल केंद्र के रूप में अवतरित होकर के अपने सच्चे ज्ञान का प्रचार किया और भक्तों को नई राह दिखाई उन्हें नशा पता करने से, मांस खाने से दूर रखा 

परमात्मा कौन हैं who is god

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गरीब, ऐसा अबिगत राम है, गुन इन्द्रिय सै न्यार। सुंन सनेही रमि रह्या, दिल अंदर दीदार।।3।। गरीब, ऐसा अबिगत राम है, अपरम पार अल्लाह। कादर कूं कुरबान है, वार पार नहिं थाह।।4।। गरीब, ऐसा अबिगत राम है, कादर आप करीम। मीरा मालिक मेहरबान, रमता राम रहीम।।5।। गरीब, अलह अबिगत राम है, बेच गूंन चित्त माहिं। शब्द अतीत अगाध है, निरगुन सरगुन नाहिं।।6।। गरीब, अलह अबिगत राम है, पूर्णपद निरबान। मौले मालिक है सही, महल मढी सत थान।।7।। सरलार्थ :- कबीर जी ऐसे अविगत राम हैं जो तीनों गुणों तथा भौतिक शरीर की  इन्द्रियों से न्यारे हैं। उनका शरीर तथा सामर्थ्य सबसे भिन्न और अधिक है। उसका कोई अन्त नहीं है। वह बेचगून यानि अव्यक्त है। जैसे सूर्य के सामने बादल छा जाते हैं, उस  समय सूर्य अव्यक्त होता है। उसी प्रकार परमात्मा और आत्मा के मध्य पाप कर्मों के बादल  अड़े हैं। जिस कारण से परमेश्वर विद्यमान होते हुए भी अव्यक्त है, दिखाई नहीं देता।

Declining level of education

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प्राचीन काल से लेकर के वर्तमान समय तक मानव जीवन अनेक ढाल उतार से और चढ़ाव से गुजरता  आया है ऐसे में जिससे मानव जीवन में शिक्षा का विकास हुआ वैसे ही उसकी आवश्यकताएं बढ़ने लगी । समय के साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदलता गया प्राचीन काल में गुरुकुल आश्रम में मौखिक शिक्षा का  अध्ययन हुआ करता था, वह शिक्षा कठिन थीं,   फिर संसाधनों का विकास हुआ तो शिक्षा ने लिखित रूप धारण कर लिया शिक्षा की प्रणाली भी सरल होती गई । प्राचीन काल में जहां भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त हुआ वह दर्जा केवल और केवल उसकी शिक्षा प्रणाली और आध्यात्मिक संस्कृति के कारण ही था उस समय गार्गी याज्ञवल्क्य सावित्री सीता जैसी विदुषी नारी नारियां भी हुई जिनका लोहा तत्कालीन पुरुष वर्ग भी मानता था।  समय के साथ शिक्षा का सफर बदलता गया शिक्षा जहां 

किसी भी बीमारी का जड़ से खात्मा

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वर्तमान दौर में अनेक प्रकार की बीमारियां है जिनका पूर्ण रूप से कोई इलाज नहीं मिल रहा है या उनका इलाज इतना महंगा होता है कि गरीब आदमी उस इलाज को समय नहीं करवा पाता है ,आए दिन इन बीमारियों के कारण मृतकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है इन सभी बीमारियों के पीछे सबसे बड़ा कारण है नशे की बढ़ती प्रवृत्ति । आज युवा वर्ग भी नशे की ओर बहुत ज्यादा  अग्रसर है। अब अगर यदि हमें अपने देश और समाज को बढ़ते हुए नशे से बचाना है तो उसमें एक नैतिकता का विकास करना बहुत जरूरी है और यह नैतिकता का विकास केवल और केवल आध्यात्मिकता से ही हो सकता है अन्य और किसी से नहीं, वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा दिव्य ज्ञान दे रहे हैं जिसके कारण उनकी सर्व संगत इन नशे पत्ते से  रहित है नशा करना तो बहुत दूर की बात है नशीली वस्तुओं को किसी को नहीं देते हैं अर्थात कहने का तात्पर्य है वह नशीली पदार्थों को छूते तक नहीं है। वर्तमान में ऐसे बहुत से उदाहरण है जो पहले बहुत सी नशीली आदतों से कर सकते ग्रसित थे परंतु जबसे उन्होंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली है तब से वह इन समस्त विकारों से रहित ...

*नशा या जीवन पतन*

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अगर हम किसी भी व्यक्ति या समाज का पतन करना चाहते हैं तो उन्हें नशे का आदि बना देना चाहिए फिर आगे स्वतः होता जायेगा, क्योंकि नशा किसी भी प्रकार का हो , वह शारिरिक, मानसिक और आर्थिक रूप नुकसान पहुँचाना सुरु कर देता है। नशा हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय, लीवर, फेंफड़े,गुर्दे को खराब करता है नशा करने वाला व्यक्ति सर्वप्रथम अपना विवेक खो देता है फिर उसे अच्छे और बुरे का ज्ञान नहीं होता है जिससे वह नशे को भी एक भगवान का प्रसाद मानकर के रोज सेवन करता है और दूसरों को भी नशा करने की सलाह देता है और कहता है कि अगर यदि यहां आकर के आपने यह चीजें सेवन नहीं की तो क्या किया ऊपर जाकर के भगवान को क्या जवाब दोगे आइए अब हम जानते हैं परमेश्वर का आदेश क्या है परमेश्वर के विधान के अनुसार शराब पीने वाला व्यक्ति अगले 70 जन्म तक कुत्ते की योनि या प्राप्त करता है और नाली की गंद खाता है

आध्यात्मिक तरीके से बीमारियों से निजात

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 वर्तमान समय में केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में 80% से ज्यादा जनसंख्या किसी ने किसी बीमारी से ग्रसित है ऐसे में आइए हम जाने कि हम इन बीमारियों से कैसे छुटकारा पा सकते हैं इस संबंध में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग रूपी अमृत वचनों के माध्यम से विश्व की सभी धर्मों के पवित्र सद ग्रंथों के आधार पर एक प्रमाणित दिव्य ज्ञान दे कर के शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना बताते हैं जिससे हम शास्त्र अनुकूल भक्ति करते हुए समस्त प्रकार की बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं और आज संत रामपाल जी महाराज के अनेक अनुयाई सीना ठोक कर के यह गवाही दे रहे हैं कि जब तक उन्होंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा नहीं ली तब तक छोटी बड़ी कई बीमारियों से ग्रसित थे , परंतु जबसे उन्होंने जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली है तब से धीरे-धीरे करके उन बीमारियों से उनको राहत मिलना शुरू हो गया और स्थिति यह हुई कि आज उन्हें किसी भी प्रकार से कोई दवा तक लेने की जरूरत नहीं पड़ती है शर्त यही है कि नाम दीक्षा लेने वाले अनुयाई को संत जी द्वारा बताई गई मर्यादा का पालन करना बहुत-बह...