जैसे जैसे मानव कुछ उन्नति की ऒर अग्रसर होता है वैसे वैसे कुछ उलझनों में फँसता जाता है , जिस कारण से जिस उद्देश्य से यह मानव जीवन मिलता हैं ,उससे कोसों दूर चले जाते हैं।
बात करते है वर्तमान दहेज प्रथा की, एक पिता अपनी आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन के लिए दहेज रूपी राक्षश का अपनी पुत्री के विवाह में प्रयोग करता है । जिस कारण से दहेज प्रथा का रूप धारण कर चुकी है ,
परिणाम ये आ रहे हैं कि एक गरीब पिता भी अपनी लाडली बेटी के विदाई के अपनी हैसियत से भी ज्यादा दिखावा करने के लिए अपनी जमीन जायदाद बेच कर दहेज का प्रबंध करता है जिससे बेटी का जन्म ही अभिशाप बनने लगा है ,
विवाह में कम दहेज मिलने के कारण नव विवाहिता दुल्हन को ससुराल में कई तरह के उलाहने सुनने पड़ते हैं और कई बार उसे आत्म हत्या भी करनी पड़ती हैं
इस दहेज रूपी दानव के कारण एक गरीब पिता की बेटी और जमीन दौलत सब चले जाते हैं जिसमें जीवन नरक बन जाता है
*समाधान* जगतगुरु सन्त रामपाल जी महाराज ने एक ऐसी विवाह प्रथा सुरु की है जिसमें मात्र 17 मिनिट में विवाह सम्पन हो जाता है जिसे सन्त मत में रमैनी कहते हैं
बात करते है वर्तमान दहेज प्रथा की, एक पिता अपनी आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन के लिए दहेज रूपी राक्षश का अपनी पुत्री के विवाह में प्रयोग करता है । जिस कारण से दहेज प्रथा का रूप धारण कर चुकी है ,
परिणाम ये आ रहे हैं कि एक गरीब पिता भी अपनी लाडली बेटी के विदाई के अपनी हैसियत से भी ज्यादा दिखावा करने के लिए अपनी जमीन जायदाद बेच कर दहेज का प्रबंध करता है जिससे बेटी का जन्म ही अभिशाप बनने लगा है ,
विवाह में कम दहेज मिलने के कारण नव विवाहिता दुल्हन को ससुराल में कई तरह के उलाहने सुनने पड़ते हैं और कई बार उसे आत्म हत्या भी करनी पड़ती हैं
इस दहेज रूपी दानव के कारण एक गरीब पिता की बेटी और जमीन दौलत सब चले जाते हैं जिसमें जीवन नरक बन जाता है
*समाधान* जगतगुरु सन्त रामपाल जी महाराज ने एक ऐसी विवाह प्रथा सुरु की है जिसमें मात्र 17 मिनिट में विवाह सम्पन हो जाता है जिसे सन्त मत में रमैनी कहते हैं
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