naag pooja
नाग पूजा से क्या तात्पर्य है जाने के लिए यह ब्लॉग अवश्य पढ़ें।
आदिकाल मानव प्रकृति पर आश्रित था और भय के आधार पर विभिन्न प्रकार की पूजाएं करता था जिस चीज से ज्यादातर भय होता था उसी की पूजा करके अपने बचाव के साधन खोज रहा था इसी क्रम में पृथ्वी पर रेंगने वाले जीव विशेषकर विषैले जानवर जिसके डसने मनुष्य की मृत्यु हो जाती है उसी क्रम में शायद उस नाग से बचने के लिए उसने नागों की पूजा करना शुरू कर दिया।
लेकिन सच्चाई यह है कि आज के प्रमाणित शास्त्र जैसे चारों वेद और उनका सार भागवत गीता में एक अविनाशी परमात्मा के अतिरिक्त किसी की पूजा करने को सार्थक नहीं बताया। इसी क्रम में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हमें यह बताते हैं कि एक अविनाशी परमात्मा कबीर परमेश्वर को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार की देवी देवताओं की पूजा करना मनुष्य जीवन के लिए कदापि उचित नहीं है क्योंकि यह मानव जीवन मोक्ष प्राप्ति के लिए प्राप्त होता है और उस मोक्ष की प्राप्ति एक अविनाशी परमात्मा पूजा से हो सकती है
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