काशी में करौंत
एक प्राचीन मान्यता थी कि भगवान शिव ने लंबे समय पहले एक शराब दिया था जिसमें कहा जो आत्मा मानव शरीर मगहर शहर में शरीर त्याग करेंगी वह सीधे नर्क में जाएगी और जो व्यक्ति या प्राणी काशी शहर में जीवन लीला समाप्त करेंगे वै स्वर्ग में जाएंगे मान्यता प्रबल होती गई बुद्धिजीवी वर्ग अपने परिवार के बुड्ढे बुर्जुगों को स्वर्ग भेजने की बाबत काशी शहर में लाने लगे लेकिन बूढ़े बुजुर्गों की संख्या अधिक होने एवं उनकी सेवा की समस्या आने के कारण काशी के पंडो और ब्राह्मणओ ने एक योजना बनाई कि जो शीघ्र परमात्मा के दरबार में पहुंचना चाहते हैं उनके लिए भगवान के दरबार से एक करोत आता है जिस पर परमात्मा की दया होगी उसी पर करोन्त आएगा अब उन बुजुर्गों ने सोचा की जाना तो कल भी है तो क्यों नहीं आज ही इस में अपना सिर दे दे जिससे भगवान के दरबार में जल्दी पहुंच जाएंगे इस प्रकार ब्राह्मण लोग उन बूढ़े बुजुर्गों की गर्दन पर करोंत चलाकर उन्हें मारने लगे और ऊपर से इस एवज में उनके परिवार वालों से रुपए पैसे भी लेने लगे